कैलाश बाबू योग

यह ब्लॉग योग की सटीक जानकारी देने के लिए है। योगाभ्यास करने के लिए किसी योग्य योग गुरु का परामर्श आवश्यक है।

मंगलवार, मार्च 30, 2021

प्रणायाम के लिए दिशा निर्देश और सावधानियां

 प्राणायाम के प्रकार 


प्राणायाम मुख्य चार प्रकार के होते है:-


  1. पूरक- श्वास की गति धीमी रखते हुए एक ही लयबद्ध तरीके से संपूर्ण श्वास लेना पूरक कहलाता है।

  2. रेचक- श्वास की गति धीमी रखते हुए एक ही लयबद्ध तरीके से संपूर्ण श्वास छोड़ना रेचक कहलाता है।

  3. अन्तरकुम्भक- पूरक करने के बाद श्वास को यथासंभव अपनी क्षमता अनुसार रोके रखना अन्तरकुम्भक कहलाता है।

  4. बहिर्कुम्भक-  रेचक के बाद श्वास को अपनी क्षमता अनुसार बाहर ही रोके रखना बहिर्कुम्भक कहलाता है।


प्राणायाम के विषय में हमारे महान योग ऋषियों ने एक निर्णय निकाला। जिसे हम और आप भी देख सकते है।


 जो जीव मंद-मंद गति से श्वास लेते है, जैसे अजगर, हाथी, कछुआ... वे ज्यादा दिन और दीर्घआयु तक जीवित रहते है। वहिं जो जीव तेजी से श्वास लेते है वे जीव जल्दी मृत्यु को प्राप्त होते है। जैसे पक्षी, कुत्ते, खरगोश... ये अल्प आयु वाले होते है।


 गहरा और धीमा श्वसन  हृदय को मजबूत बनाए रखता है, और दीर्घायु प्रदान करता है। प्राणायाम हमें गहरा और धीमा श्वसन लेना सिखाता है। श्वसन हमारा जितना गहरा और लंबा होगा हमारा जीवन उतना ही लंबा, स्वस्थ और निरोगी होगा।



अगर आप प्राणायाम प्रारंभ करने जा रहे है तो इन दिशानिर्देशों को अवश्य ध्यान में रखें…


  • श्वसन- श्वसन की क्रिया हमेशा नाक से ही करनी चाहिए, जब तक आप को कही और से श्वसन लेने के दिशानिर्देश ना मिले। 

श्वसन क्रियाओं की विधि प्रारंभ करने से पहले नाक को जलनेति व सूत्र नेती से अच्छे से साफ कर लेना चाहिए।


  • समय- प्राणायाम का अभ्यास प्रात काल सूर्य उदय से 2 घंटे पहले और 1 घंटे बाद तक करना चाहिए। यह सर्वोत्तम समय है। इस समय आपको बहुत सारे लाभ मिलते है, जैसे आपके मन मस्तिष्क में कम से कम विचारों का होना, शरीर में शीतलता और शांति का अनुभव होना... अगर आपके पास सुबह का समय नहीं है तो संध्याकाल में सूर्यास्त के समय भी प्राणायाम कर सकते है। 


  • स्थान-  प्रणायाम करने के लिए शांत, स्वच्छ, हवादार सुखदायक... स्थान होना चाहिए। अधिक हवा के झोंके, अधिक ठंड, अधिक गर्म... जगह पर प्रणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए। अगर अधिक ठंड है तो आप को कंबल या कोई चादर ओढ़ लेनी चाहिए। अगर आप कमरे में योगाभ्यास कर रहे है तो, दरवाजे और खिड़कियां खुली होनी चाहिए। जिससे कि फ्रेश एयर  अंदर आती रहे।


  • आसन- प्राणायाम करने से पहले कुछ योगिक योगासनों का अभ्यास अवश्य कर लेना चाहिए। जिससे शरीर में स्थिरता,  शिथिलता व शरीर हल्का महसूस होने लगे,  जिससे आपको प्राणायाम करते समय शरीर में कष्ट महसूस ना हो। 

प्रणायाम करने के लिए सर्वश्रेष्ठ आसन सिद्धासन है। आप पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुख आसन, वज्रासन में भी प्राणायाम कर सकते है। अगर आपसे यह आसन नहीं लगते है तो, आप कुर्सी पर बैठकर भी प्राणायाम कर सकते है।


  • क्रम- प्राणायाम का अभ्यास आसनों के अंत में करना चाहिए और प्राणायाम करने के बाद कुछ समय शव आसन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए।


  • स्नान- कोशिश करनी चाहिए कि प्राणायाम का अभ्यास स्नान करने के बाद करें। अगर ऐसा संभव नहीं है तो, हाथ पैर और मुंह तो अवश्य धो लेने चाहिए। प्राणायाम करने के बाद कम से कम आधे घंटे तक स्नान नहीं करना चाहिए। ताकि शरीर का तापमान सामान्य स्थिति में आ सके।


  • वस्त्र- प्राणायाम का अभ्यास करते समय ढीले-ढाले और आरामदायक वस्त्र पहनने चाहिए। ठंड के समय में और मच्छरों से बचने के लिए कंबल या चादर का उपयोग करना चाहिए।


  • खाली पेट- प्रणायाम का अभ्यास हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए। खाना खाने के 3 से 4 घंटे बाद प्राणायाम कर सकते है। खाना खाने के बाद प्राणायाम करने से हमारा श्वसन सही से नहीं होगा और हमारे फेफड़ों को नुकसान हो सकता है व कुंभक के अभ्यास से पाचन तंत्र गड़बड़ा सकता है। 


  • आहार-  प्राणायाम का अभ्यास प्रारंभ करते समय संतुलित और हल्का भोजन ही करना चाहिए। जिसमें आप प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन... युक्त भोजन ले सकते है।  सर्वोत्तम भोजन दुग्ध, अनाज, दालें, ताजे फल, सब्जियां इत्यादि है।

 नये अभ्यासियो को भोजन मिताहार अर्थात आधा पेट भोजन, एक चौथाई पानी और एक चौथाई हवा के लिए खाली छोड़ना चाहिए। ऐसे करने से आपका अभ्यास बहुत अच्छा होगा।


  • तनाव से बचे-  अभ्यास करते समय जल्दबाजी ना करें। दूसरे अभ्यासियो से अपनी तुलना ना करें। अभ्यास अपनी क्षमता के अनुसार करें। कुंभक जबरदस्ती ना करें जितना संभव और सहज जो उतना ही कुंभक करें। अन्यथा आपके फेफड़ो और पाचन तंत्र पर इसका कुप्रभाव पड़ सकता है। अभ्यास निरंतर करें इससे आप प्राणायाम में जल्दी ही सिद्धि प्राप्त कर लेंगे, न कि अनावश्यक तनाव से।


  • कुप्रभाव- प्राणायाम का अभ्यास प्रारम्भ करते समय हमारे शरीर से विषाक्त और जहरीले पदार्थ बाहर निकलते है। हमारी नाडियां और हमारा शरीर शुद्ध होता है, ऐसे में आपको कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे शरीर में खुजली, झनझनाहट, गर्मी या ठंड का एहसास होना, शरीर हल्का या भारी... महसूस होना। प्राणायाम के अभ्यास में  यह लक्षण सामान्य है और कुछ ही दिनों में यह खत्म हो जाएंगे। आपका शरीर हल्का व रोग मुक्त हो जाएगा। लेकिन अगर ये लक्षण लगातार बने रहते है तो, किसी योग्य योग गुरु से परामर्श आवश्य ले।


  • सीमाएं- किसी भी रोग की अवस्था में स्वम: से प्रणायाम का अभ्यास कभी नहीं करना चाहिए। किसी योग्य योग गुरु के सानिध्य में ही अभ्यास करना चाहिए। अन्यथा रोग बढ़ने की संभावना अधिक रहती है।


  •  धूम्रपान निषेध- प्राणायाम प्रारंभ करने के बाद धूम्रपान, शराब, किसी भी तरीके के नशे से बचना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते है तो, आपको प्रणायाम का कोई फायदा नहीं होगा। 


कैलाश बाबू


धन्यावाद

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