कैलाश बाबू योग

यह ब्लॉग योग की सटीक जानकारी देने के लिए है। योगाभ्यास करने के लिए किसी योग्य योग गुरु का परामर्श आवश्यक है।

शनिवार, मार्च 06, 2021

शीर्षासन विधि, लाभ और सावधानियां

शीर्षासन

 शीर्षासन विपरीत करनी के आसनों में मुख्य आसान है। यह एडवांस आसनों की कैटेगरी में आता है। इसको सीखने के लिए कुछ दिनों का निरंतर अभ्यास और एकाग्रता चाहिए।

यह देखने में जितना कठिन प्रतीत होता है, करने में उतना कठिन है नहीं। शीर्षासन के जितने अधिक लाभ है हानियां उससे भी अधिक है, इसलिए शीर्षासन का अभ्यास शुरू करने से पहले इसकी संपूर्ण जानकारी बहुत जरूरी है, जो आपको इस आर्टिकल में मिलेगी।

विधि

शीर्षासन का अभ्यास चरणबद्ध तरीके से करना चाहिए। एक बार में ही पूरा आसन लगाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। मैं आपको कुछ स्टेप्स की मदद से शीर्षासन सिखाने की कोशिश करूंगा…

पहले स्टेप में वज्रासन में बैठ जाएं और अपना सर जमीन पर लगाएं। आपके घुटने, पंजे और सर जमीन पर रहेंगे। उसके बाद अपने हाथों की उंगलियों को आपस में फसा ले और जहां से आप के सर के बाल शुरू होते है, उससे चार उंगल पीछे और चार उंगल आगे 8 उंगली के हिस्से को छोड़ कर उसके पीछे सर पर फंसी हुई उंगलियों वाले हाथों को रख दें, और सर को जमीन पर लगाएं।


ध्यान रहे सर के सबसे ऊपर वाला हिस्सा कभी भी जमीन पर ना रखें।

उसके बाद step2 की तरह पैरों को पर्वतासन की तरह उठा दें…



अब धीरे-धीरे पंजों को आगे बढ़ाते हुए, ऊपर उठाने का प्रयास करें।आपको बिना पैर सीधा करे ही रुकने का प्रयास करना है। संतुलन बिगड़ेगा परंतु बार-बार अभ्यास करते रहना है। ऐसा करने से कुछ दिनों में step4 की स्थिति में आपका संतुलन बनने लगेगा…



स्टेप 4 में संतुलन बनने के बाद, कुछ दिनों तक ऐसे ही step-4 में रुखने का प्रयास करे। उसके बाद धीरे-धीरे सहजता से अपने दोनों पैरों को सीधा कर देना है, और प्रारंभ में कुछ ही सेकंड रुकने का अभ्यास करना है। प्रारम्भ में ज्यादा देर नहीं रुकना है, धीरे-धीरे समय बढ़ाते जाना है।



शीर्षासन को 1 से 10 मिनट तक रोक सकते है। विशेष परिस्थितियों में शीर्षासन 20 मिनट तक भी रोका जा सकता है परंतु इसके लिए योग विशेषज्ञ का परामर्श आवश्यक है। अगर आप शारीरिक लाभ प्राप्त करने के लिए शीर्षासन का अभ्यास करना चाहते है तो आपको 3-5 मिनट शीर्षासन का अभ्यास पर्याप्त है।

प्रारम्भ में आप इन सभी स्टेप्स को दीवार के सहारे भी कर सकते है। ऐसा करने से आपको दीवार का सपोर्ट मिलेगा और संतुलन बनाने में आसानी होगी और गिरने के चांस भी कम हो जाएंगे…

श्वसन

योग के प्रत्येक आसन प्रत्येक क्रिया में श्वास का बहुत ही महत्व होता है। शीर्षासन में पहले चरण में श्वास लें, उसके बाद शरीर को ऊपर उठाते हुए श्वास रोककर रखें और वापस आते हुए धीरे-धीरे छोड़ते हुए वापस आए। आसन जितना देर रोक कर रखे, उतनी देर सामान्य श्वास ले…

सजगता

प्रत्येक आसन में शरीर के कुछ अंगों पर चक्रो पर सजगता या एकाग्रता रखनी होती है। शीर्षासन में प्रारंभिक अभ्यासियों को संतुलन बनाए रखने पर ध्यान रखना चाइये, और उच्च अभ्यासियों को मस्तिष्क के केंद्र, सहस्रार चक्र पर ध्यान केंद्रित करना चाइये।

क्रम

प्रत्येक आसन को करने का एक क्रम होता है। कुछ आसन, कुछ आसनों के बाद, कुछ क्रियाये, कुछ क्रियाओं के बाद नहीं करनी चाहिए या कुछ क्रियाओं के बाद करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। मयूरासन के बाद कभी भी शीर्षासन नहीं लगाना चाहिए अन्यथा आपको हानि हो सकती है। क्योंकि मयूरासन शरीर से विषाक्त पदार्थों को शरीर से अलग कर देता है, जो हमारे मस्तिष्क की तरफ आ जाएंगे और हमारे मस्तिष्क को हानि पहुंचा सकते है।

प्रारंभिक अभ्यासियो को शीर्षासन का अभ्यास आसनों के अंत में करना चाहिए। ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि अन्य आसन करने से हमारे शरीर की मांसपेशियां खुल चुकी होती है, अगर हम शीर्षासन का अभ्यास अंत में करते है तो हमारे गिरने के चांस कम हो जाते है। अभ्यासी होने के बाद आप शीर्षासन का अभ्यास प्रारंभ में और अंत में कर सकते है। आसनों के बीच में शीर्षासन का अभ्यास करने के लिए मना किया जाता है।

शीर्षासन के विपरीत आसन में आप ताड़ासन और शव आसन का अभ्यास कर सकते है।

सावधानियां

योग की प्रत्येक क्रिया में कुछ सावधानियों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। उच्च रक्तचाप, हृदय रोगी, सर दर्द, जुखाम, खांसी, कब्ज, गुर्दे के रोग, अशुद्ध रक्त, गंभीर निकट दृष्टि दोष, दुर्बल नेत्र, ग्लूकोमा, कानों में सूजन, सर में किसी प्रकार का रक्तस्राव, गर्भावस्था, मासिक धर्म के समय… शीर्षासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

शीर्षासन का अभ्यास चादर की कई परतें बनाकर उसके ऊपर करना चाहिए या कम्बल या योग मैट का भी इस्तेमाल कर सकते है। ध्यान रखें आपके आसपास का स्पेस खाली हो और जमीन समतल हो अन्यथा आप को चोट लग सकती है।

सर दर्द माइग्रेन की स्थिति में शीर्षासन करने की सलाह दी जाती है, परंतु जब आप के सर में दर्द हो रहा हो उस समय शीर्षासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए, बाकी समय में अभ्यास करने से आपकी यह समस्याएं दूर हो जाएगी।

लाभ

शीर्षासन सहस्रार चक्र को जागृत करने के लिए बहुत ही अच्छा और शक्तिशाली अभ्यास है। इसलिए इसको सर्वश्रेष्ठ आसनों की श्रेणी में रखा जाता है।

शीर्षासन हमारे मस्तिष्क और पीयूष ग्रंथि में रक्त प्रभाव को बढ़ा देता है, जिससे संपूर्ण शरीर एवं मन प्रफुल्लित हो उठता है। जिससे शरीर मे एक नई चेतना का उदय होता है

यह चिंता और मनोवैज्ञानिक समस्याओं को दूर करता है जो, कई गंभीर विकारों के मूल कारण है, इसीलिए दमा, फीवर, मधुमेह रजो निवृत्ति.. के समय आने वाले असंतुलन के निवारण के लिए इस आसन को करने की सलाह दी जाती है।

यह प्रजनन अंगों से संबंधित समस्याओं को भी दूर करता है और उन्हे मजबूती प्रदान करता है।

शरीर के मध्य भाग पर दबाव पड़ने से श्वास-प्रश्वास गहरा हो जाता है, जिससे हमारे फेफड़े मजबूत होते है, फेफड़ों से CO2 और जहरीली गैस बाहर निकल जाती है….

विशेष

अगर अभ्यास करते समय आप गिर जाएं तो घबराएं नहीं शारीरिक स्थिति सामान्य होने तक विश्राम करें, उसके बाद अभ्यास करें या अभ्यास रोक दे अगले दिन फिर अभ्यास करें।

शीर्षासन समाप्त करने के बाद एकदम से लेटे या खड़े ना हो स्टेप-1 की स्थिति में आ जाएं और अपने दोनों हाथों की मुट्टीया बनाकर एक के ऊपर एक रखें और उसके ऊपर माथा रखे, ऐसा करने से आपका ब्लड सरकुलेशन एक साथ पैरों की तरफ नहीं आएगा और कुछ ही सेकंड में आपका शरीर सामान्य स्थिति में आ जाएगा।

उसके बाद खड़े हो जाएं या शवासन का अभ्यास करें ध्यान रहे अगर आपने 1 मिनट शीर्षासन का अभ्यास किया है तो 20 सेकंड इस स्थिति में बने रहना चाइये…

कैलाश बाबू योग

धन्यवाद

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