चलिए आज मैं आपको आंखों के कुछ योगिक व्यायाम के बारे में जानकारी देता हूं… what are yoga for eyes
आंखें हमारे शरीर का सबसे कोमल अंग है। आंखों की सुरक्षा के लिए प्रकृति ने पलके दी है। जो किसी भी तरह के खतरे को भांपते ही आंखों को सुरक्षा प्रदान करती है।
हमारी भी जिम्मेदारी बनती की हम भी, आंखों का विशेष ध्यान रखे।
आज समाज में छोटे-छोटे बच्चों को आंखों पर चश्मा लगाते देख बहुत ही दुख होता है। इन छोटी-छोटी क्रियाओं के निरंतर अभ्यास से आप चश्मा ही नहीं हटाएंगे, अपनी आंखों को संपूर्ण सुरक्षा प्रदान कर सकते है और आपकी आंखें हमेशा स्वस्थ बनाए रख सकते है…
1)आंखों पर हथेलियां रखना
Yoga for eyes
महसूस करें उर्जा हाथों से निकलकर आंखों में जा रही हैं और आंखों की पेशियां तनाव मुक्त हो रही हैं। सुखद अंधकार में आंखों को सिचा जा रहा है।
जब तक हथेलियों में गर्माहट महसूस हो तब तक हथेलियां आंखों पर ही रखें।
तत्पश्चात आंखों को बंद रखते हुए हथेलियों को नीचे लाएं और फिर से रगड़े यही क्रिया दोराय…
लाभ और सावधानियां (benefit and precaution)
याद रखें हथेलियां ज्यादा गरम हो जाए तो थोड़ी देर बाद आंखों पर रखें और हथेलियों वाला खाली हिस्सा ही आंखों पर रखें और आंखों पर अनावश्यक दबाव न डालें उंगलियों से आंखों को ना ढके।
गरम हथेलियों से पलकों को ढकना आंखों की पेशियों को विश्रांति और पुनर्जीवन प्रदान करता है। यह श्वेत पटल (कॉर्निया) और लेंस के बीच प्रवाहीत जलीय द्रव्य का संचरण बढ़ाता है। इससे दृष्टि दोष में सुधार होता है।
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यह क्रिया करने से विशेष लाभ होता है। आप सूर्य उदय और सूर्य अस्त होते समय सूर्य को भी कुछ क्षण के लिए देख सकते है। इससे आपकी आंखों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
ध्यान रहे सूर्य अस्त और सूर्य उदय के बाद सूर्य को कभी भी नहीं देखना चाहिए।
2)पलकों को झपकाना
Yoga for eyes
आप कोई कार्य कर रहे है। कंप्यूटर पर बैठे है। पढ़ाई कर रहे हैं। आपकी आंखों में दर्द होता है। असहजता महसूस होती है। या सामान्य स्थिति में इस क्रिया का अभ्यास आपको बहुत लाभ पहुंचाएगा।
आंखों को खुला रखते हुए बैठ जाएं। पलकों को जल्दी-जल्दी 10 बार झपकाए। आंखों को बंद कर 20 सेकंड तक विश्राम करें। फिर जल्दी-जल्दी 10 बार पलकें झपकाए और उसके बाद आंखें बंद कर विश्राम करें। इस क्रिया को 5 से 7 बार दोहराएं।
दृष्टि दोष से पीड़ित कई लोग अनियमित और आस्वाभाविक ढंग से पलके झपकाते रहते है। इसका संबंध आंखों में तनाव की स्थिति से है। यह अभ्यास आंखों के स्नायुआे को विश्रांति प्रदान कर पलक झपकाने की सहज क्रिया को स्वाभाविक रूप में लाने में सहायक होता है।
3)दाएं बाएं देखना
Yoga for eyes
भुजाओं को कंधों की ऊंचाई पर दोनों ओर सीधा फैला दें। अंगूठे ऊपर की ओर रखें।
सर सीधा सामने की ओर रखें, अंगूठे को आंखों के ठीक सामने रखें। यदि वे ऊपर या नीचे हैं तो अंगुठो को एक बार आंखों के ठीक सामने रखे, फिर दोनों अंगूठे को दाएं और बाएं तरफ ले जाएं। ध्यान रखिए अंगूठे आंखों की परिधि में ही होने चाहिए।
आंखों के सामने सीध में किसी एक निश्चित बिंदु को देखें। सर को इसी स्थिति में रखें और सर को बिना घुमाए नीचे दिए गए बिंदुओं पर बार-बार दृष्टि घुमाएं।
- बाएं हाथ का अंगूठा
- भ्रू- मध्य (आईब्रो के बीच का स्थान)
- दाएं हाथ का अंगूठा
- भ्रू- मध्य (आईब्रो के बीच का स्थान)
- बाएं हाथ का अंगूठा
इन बिंदुओं पर सर को बिना हिलाए आंखों की पुतलियों से दृष्टि इधर-उधर करनी है।
सिर और कमर को सीधा रखते हुए इस चक्र को 10 से 20 बार अभ्यास करें।
अंत में आंखों को बंद कर उन्हें विश्राम दे और हथेलियों से रगड़ कर आंखों को दो से तीन बार सेके।
स्वास का विशेष ध्यान रखें
सामने देखते हुए श्वास लें, दृष्टि को बगल में ले जाते समय श्वास छोड़ें, स्वास लेते हुए केंद्र में आए।
लाभ और सावधानियां
निरंतर पढ़ने लिखने या कंप्यूटर पर कार्य करने से स्नायु तंत्र में उत्पन्न तनाव से इस अभ्यास द्वारा छुटकारा मिलता है। यह भेगापन नहीं होने देता तथा उसमें सुधार लाता है।
यदि भुजाएं थक जाएं तो उन्हें विश्राम देकर दोबारा अभ्यास कर सकते है।
4)सामने और तिरछा देखना
Yoga for eyes
बाएं हाथ को बाएं घुटने पर इस तरह रखे हैं कि अंगूठा ऊपर की ओर हो इसी तरह दाएं हाथ को दाएं तरफ फैला कर अंगूठा ऊपर की ओर रखें।
सर को बिना घुमाए आंखों को बाएं अंगूठे पर केंद्रित करें, फिर दाएं अंगूठे पर और फिर बाएं अंगूठे पर वापस लाएं।
इस क्रिया को 15 से 20 बार दोहराये और फिर आंखों को विश्राम दें।
इस प्रक्रिया की पुनरावृति, बाएं हाथ को बाएं तरफ फैला कर और दाएं हाथ दाएं घुटने पर रखकर अभ्यास करें। अंत में आंखों को बंद कर विश्राम दें।
हथेलियों को रगड़ आंखो को कई बार सेके।
सीधे देखते समय श्वास ले, नीचे देखते समय श्वास छोड़ें तिरछा देखते समय श्वास लें।
सामने और तिरछा देखना मध्यवर्ती और पर्शववर्ती पेसियो के समन्वय में सुधार लाता है।
5 )दृष्टि को वृत्ताकार घुमाना
Yoga for eyes
बाया हाथ बाएं घुटने पर रखे, दाई मुट्ठी को दाहिने पैर से थोड़ा ऊपर रखे, अंगूठा ऊपर की ओर एवं कोहनी सीधी रखें।
अब एक बड़ा व्रत बनाते हुए भुजा को, पहले बाये, फिर ऊपर, फिर दाई ओर ले जाते हुए अंत में प्रारंभिक स्थिति में आ जाए। सिर को बिना हिलाए आंखों को अंगूठे पर केंद्रित करें।
इसे पांच बार बाई ओर से पांच बार दाईं ओर से व्रत बनाकर दोहराएं। इस अभ्यास को बाएं अंगूठे से भी दोहराएं है।
सिर और कमर को पूरे अभ्यास में सीधा रखें, अंत में आंखें बंद कर उन्हें विश्राम दें और हथेलियों को रगड़ आंखो को कई बार सेके।
व्रत के ऊपरी भाग का निर्माण करते हुए स्वास ले, नीचे के भाग को पूरा करते समय स्वास छोड़ें। स्वास सहज तरीके से लेना है। जल्दबाजी न करें।
दृष्टि को वृत्ताकार घुमाना आंखों के चारों ओर की पेशियों में संतुलन लाता और दोनों नेत्र गोलको के कार्यकलापों में सामंजस्य स्थापित करता है।
6)दृष्टि को ऊपर और नीचे करना
Yoga for eyes
दोनों मुठइयों को इस प्रकार घुटनों पर रखें कि अंगूठे ऊपर की ओर रहें।
भुजाओं को सीधा रखते हुए और अंगूठे की गति पर दृष्टि केंद्रित करते हुए धीरे-धीरे दाहिने अंगूठे को ऊपर उठाएं।
अंगूठे को अधिकतम ऊंचाई तक उठाने के बाद धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में लौट आए, और पूरे समय सिर को बिना हिलाए आंखों को अंगूठे पर केंद्रित रखें।
बाएं अंगूठे से इस अभ्यास को दोहराएं प्रत्येक अंगूठे से पांच-पांच बार ये अभ्यास करें।
अंत में आंखों को बंद कर विश्राम दे और हथेलियों को रगड़ कर कई बार सेके।
दृष्टि ऊपर ले जाते समय श्वास ले दृष्टि को नीचे लाते समय श्वास छोड़ें…
दृष्टि को ऊपर नीचे करने का अभ्यास नेत्र गोलको के ऊपर एवं नीचे की पेशियों में संतुलन लाता है।
7)प्रारंभिक नासिक काग्र दृष्टि
Yoga for eyes
पैरों को सामने फैलाकर दंडासन और अथवा सुखासन में बैठे।
दाहिनी भुजा को सीधा और ठीक नाक के सामने रखें। दाहिने हाथ की मुट्ठी बनाकर अंगूठे को ऊपर की ओर रखें।
दृष्टि को अंगूठे के ऊपरी भाग पर केंद्रित करें।
भुजा को मोड़कर धीरे-धीरे अंगूठे को नासिकाग्र पर ले आएं दृष्टि अंगूठे के ऊपर ऊपरी भाग पर ही केंद्रित रहे।
नासिकाग्र पर अंगूठे को रखते हुए कुछ क्षण ठहरे और इस बीच दृष्टि अंगूठे के ऊपरी भाग पर ही केंद्रित रहे।
धीरे-धीरे भुजा सीधी करें पर दृष्टि अंगूठे के ऊपरी भाग पर ही बनी रहे।
यह अभ्यास का एक चक्र पूरा हुआ। ऐसे 5 चक्रों का अभ्यास करें।
अंगूठा नाक की ओर ले जाते समय श्वास लें। जब अंगूठा नासिकाग्र पर रहे तब श्वास अंदर रोके। भुजा सीधी करते समय स्वास छोड़े।
यह अभ्यास आंख की पेशियों की विस्तार और दृष्टि केंद्रित करने की क्षमता में सुधार लाता है।
8)नजदीक और दूर देखना
Yoga for eyes
खुली खिड़की के पास खड़े हो जाएं या बैठ जाएं, जहां से क्षितिज स्पष्ट रूप से दिखाई देता हो, भुजाएं बगल में रखें।
5 सेकंड तक नासिकाग्र पर दृष्टि केंद्रित करें। उसके बाद क्षितिज में किसी दूर की वस्तु पर 5 सेकंड तक दृष्टि केंद्रित करें।
यह प्रक्रिया 10 से 20 बार दोहराएं। आंखों को बंद कर उन्हें विश्राम दें। इस समय हथेलियों को आंखों पर रखने का अभ्यास कर सकते है।
पास देखते समय सांस ले दूर देखते समय सांस छोड़ें…
सभी अभ्यासो को पूरा करने के बाद शवासन में लेट जाएं और कुछ मिनटों तक विश्राम करें।
सावधानियां
ग्लूकोमा, ट्रेकोमा (रोहा), मोतियाबिंद जैसे रोगों को छोड़कर सबसे प्रचलित नेत्र दोषों का संबंध आंखों की पेशियों के क्रियात्मक त्रुटियों से होता है, यह स्थिति दीर्घकालीन मानसिक एवं भावनात्मक तनाव के कारण और बिगड़ जाती है।
यह सरल अभ्यास विभिन्न प्रकार की विकृतियों और गड़बड़ियों जैसे दृष्टि दोष, निकट दृष्टि दोष, भेंगापन को दूर करने में सहायक होते हैं।
नेत्र संबंधी व्यायाम को नियमित रूप से धैर्य और लगन के साथ करना चाहिए। तुरंत निरोग्य सुधार होने की आशा नहीं रखनी चाहिए। नेत्र दोष कई वर्षों में प्रकट होते है। इसी तरह सुधार के लक्षण दिखने में कुछ महीने या अधिक समय तो लगेगा ही।
नेत्र संबंधी गंभीर रोग या दृष्टि दोष जैसे ग्लूकोमा रोहा मोतिया बिंद, दृष्टि पटल, शीरावरोध, आइराइटिस, कोलाइटिस, कंजेक्टिवाइटिस (आंख आना हो) में किसी नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही अभ्यास करें।
सर के बल किए जाने वाले आसन और कुंजल क्रिया इन रोगों की अवस्था में सर्वथा वर्जित होते है।
अभ्यास करते समय शुद्ध शाकाहारी और सुपाच्य भोजन करना चाहिए और पूर्णता तनाव रहित और शिथिल रहना चाहिए।अधिक जोर नहीं लगाना चाहिए। हर अभ्यास के बाद नेत्रों को विश्राम अवश्य देना चाहिए।
अभ्यास के समय चश्मा उतार देना चाहिए…
Yoga for eyes
#kailashbabuyoga
कैलाश बाबू योग
धन्यवाद
बहुत बढ़िया प्रयास है आपका धन्यवाद योगा से सम्मानित जानकारी देने के लिए कैलाश बाबू जी
जवाब देंहटाएंजी धन्यवाद जी
हटाएंबहुत अच्छा लिखा कैलाश जी।
जवाब देंहटाएंजी शुक्रिया
हटाएंवाह, बहुत ही उत्तम और ज्ञान वर्धक योग द्वारा आंखो की देखभाल करना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भाई जी
जवाब देंहटाएंdhanyavad ji
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