कैलाश बाबू योग

यह ब्लॉग योग की सटीक जानकारी देने के लिए है। योगाभ्यास करने के लिए किसी योग्य योग गुरु का परामर्श आवश्यक है।

रविवार, मई 02, 2021

शवासन shavasana

  आसनों का अभ्यास करने के लिए सर्वप्रथम लंबी गहरी तीन से चार सांस लें, अपने शरीर को शिथिल करें और सहज अवस्था में आने का प्रयास करे।


 खड़े होकर प्रणाम आसन लगाएं और किसी एक वैदिक मंत्र का


उच्चारण करें। उसके बाद ईश्वर से प्रार्थना करें, हे ईश्वर है, परमपिता परमात्मा मैं योगासनों का अभ्यास करने जा रहा हूं। मेरे शरीर में योगासनों का संपूर्ण लाभ प्रदान करने की कृपा करें। अगर सुबह योगासनों का अभ्यास कर रहे है तो सूर्य देव को प्रणाम करें। उसके बाद योगासनों का अभ्यास प्रारम्भ करे…


 आज हम शवासन की चर्चा करेंगे...


शव आसन shavasana


 शव अर्थात मृत शरीर, इस आसन का नाम मृत शरीर अर्थात शव के नाम पर पड़ा है। इसमें अपने संपूर्ण शरीर की गतिविधियों को शांत कर एक शव के समान बना लिया जाती है। इसलिए इस आसन को शवासन कहा जाता है।




शव आसन का अभ्यास आसनों से पूर्व, आसनों के मध्य, आसन के अंत में, निद्रा से पहले और दिन में किसी भी प्रकार की थकान होने पर शरीर को शिथिल और आरामदायक स्थिति में लाने के लिए किया जाता है।


शवासन को सबसे कठिन आसनों में रखा जाता है। क्योंकि इसमें शरीर की समस्त मांसपेशियों को तनाव मुक्त करना होता है। ऐसा करना बहुत ही मुश्किल है। हमें एहसास होता है कि, हमारी मांसपेशियां शिथिल व सहज अवस्था में आ गई है, परंतु यह भ्रामक भी हो सकता है। क्योंकि आंतरिक मांसपेशियां तनाव मुक्त नहीं हो पाती है। उसके लिए लंबे समय तक शव आसन का अभ्यास करना पड़ सकता है।


 मन के विचारों को नियंत्रित किए बिना मांसपेशियों को तनाव मुक्त नहीं किया जा सकता, इसलिए यह आसन कठिन हो जाता है।


विधि how to prectice shavasana


  • शव आसन का अभ्यास करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं।


  • दोनों भुजाओं को सीधा रखें।


  • हथेलियां आसमान की तरफ और उन्हें बिल्कुल ढीला छोड़ दें।


  • भुजाओं को शरीर से थोड़ी दूरी पर रखें।


  • पैरों को थोड़ी दूरी पर एक-दूसरे से अलग और एक-दूसरे के विपरीत गिरा कर रखें।


  • सर से लेकर पैर तक आप का संपूर्ण शरीर एक ही रेखा में रहे। गर्दन, रीड की हड्डी के बिल्कुल सीध में रहे, दाएं बाएं न रहे।


  •  अपने संपूर्ण शरीर को शिथिल करें और सारी हलचल बंद करने का प्रयास करें। अपना संपूर्ण ध्यान अपने शरीर को देखने पर लगाएं।


  •   अब  अपने शरीर के बाएं हिस्से के अंगों को शिथिल करना प्रारंभ करें। उनकी मांसपेशियों को रिलैक्स करने का प्रयास करें। अपने बाएं पैर से प्रारंभ करें और सिर के अंतिम भाग तक आए। फिर दाएं पैर से प्रारम्भ करें और सिर के अंतिम छोर तक शरीर के संपूर्ण अंगो को शिथिल करें।


  • संपूर्ण शरीर को एक भौतिक रूप में देखें और उसके बाद अपना संपूर्ण ध्यान स्वास पर लगा दे।  अपनी आती और जाती श्वास को देखें। आप इसमें किसी मंत्र का उच्चारण कर सकते है, या स्वास के साथ  गिनतियां भी गिन सकते है। ऐसा करने से आपके मन के विचार भी कम होंगे और आपके शरीर की मांसपेशियां भी जल्दी शिथिल व रिलेक्स होने लगेंगी।



अवधि timing


  अपनी समय की उपलब्धता के अनुसार शव आसन का अभ्यास 5 मिनट से 1 घंटे तक कर सकते है। परंतु आसनों का अभ्यास करते समय शवासन अधिक देर तक नहीं करना चाहिए, प्रारंभ में 3 से 5 मिनट का अभ्यास करना चाहिए और आसनों के मध्य में शरीर को रिलैक्स करने तक अभ्यास करना चाहिए, आसनों के अंत में 5 से 10 मिनट का अभ्यास ही पर्याप्त है। रात्रि को निद्रा से पहले आप अपने समय अनुसार 1 घंटे तक भी शव आसन का अभ्यास कर सकते है। इससे आपको नींद अच्छी आएगी।


लाभ benifit


  • यह आसन शरीर के संपूर्ण नाड़ी तंत्र को शिथिल कर तनाव मुक्त करता है।

  •  इस आसन का अभ्यास सोने से पूर्व, आसन के प्रारंभ में, आसनों के मध्य में, आसनों के अंत में विशेष रूप से किया जाता है। 

  •  ध्यान रहे आसनों के साथ शव आसन का अभ्यास अधिक देर तक नहीं करना चाहिए। शरीर शिथिल व सहज अवस्था में आते ही, अन्य आसनों का अभ्यास प्रारंभ कर देना चाहिए।

  •  सूर्य नमस्कार के प्रारंभ में और अंत में शवासन का अभ्यास बहुत ही कारगर है। यह आसनों से होने वाली मानसिक और शारीरिक थकान को खत्म कर एक नई स्फूर्ति और ऊर्जा का विकास करता है। जिससे आगे के आसन करने में सहजता होती है।

  •  इससे शरीर संपूर्ण रूप से विश्राम की स्थिति में आ जाता है। मन शांत हो जाता है। जिससे अन्य अभ्यास या दैनिक कार्य करने की शरीर को शक्ति प्राप्त होती है।

  •  शवासन का अभ्यास आप दैनिक कार्य की थकान को मिटाने के लिए दिन में कभी भी कर सकते है। रात्रि को निद्रा से पहले इस आसन का अभ्यास करने से नींद अच्छी आती है।


सावधानियां caution


वैसे तो शव आसन का अभ्यास कोई भी किसी भी समय कर सकता है। परंतु भय, चिंता, अफसोस, कोई दुखद घटना मिलने पर और निम्न रक्तचाप की अवस्था में शव आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस समय आपके शरीर की मांसपेशियां वैसे ही शिथिल होती है, उन्हें और अधिक शिथिल करने से आप को हानि हो सकती है।


 कैलाश बाबू योग


धन्यवाद


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