कैलाश बाबू योग

यह ब्लॉग योग की सटीक जानकारी देने के लिए है। योगाभ्यास करने के लिए किसी योग्य योग गुरु का परामर्श आवश्यक है।

शुक्रवार, सितंबर 17, 2021

योग और ब्रह्मचर्य

 ब्रह्मचर्य पालन के बिना, योग करना व्यर्थ है। आज हम कुछ महत्वपूर्ण बातें जानने की कोशिश करेंगे। जो योग और ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए जरूरी है…


योग और ब्रह्मचर्य
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अगर आप बिना योगाभ्यास के ब्रह्मचर्य का पालन करोगे तो आपका ब्रह्मचर्य खंडित होना तय है क्योंकि वीर्य एक ऊर्जा है और ऊर्जा का काम है, नष्ट होना। योग से वीर्य उर्दगामी होकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। और सहस्रार चक्र तक पहुंचकर समाधि की स्थिति को प्राप्त करता है। जो बिना योग अभ्यास के असंभव है।


योग व ब्रह्मचर्य का अभ्यास करने वाले व्यक्ति को लहसुन-प्याज, मदिरापान, धूम्रपान, मांस, अंडा और अधिक गर्म मसालो का सेवन तुरंत बंद कर देना चाहिए। शाकाहारी व सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।


नमक का कम से कम सेवन करना चाहिए, लंबे समय के ब्रह्मचर्य और योगाभ्यास के लिए नमक का सर्वथा त्याग कर देना चाहिए।


सुबह 3:00 से 4:00 बजे उठकर ध्यान व योग अभ्यास अवश्य करना चाहिए। क्योंकि ब्रह्म मुहूर्त में शरीर की उत्तेजना चरम पर होती है। उस उत्तेजना का फायदा योगाभ्यास करके उठाना चाहिए ना कि स्वपनदोष और हस्तमैथुन कर ऊर्जा को नष्ट करना चाहिए।


रात्रि का भोजन हल्का और बिना मसालो वाला होना चाहिए। रात्रि का भोजन सोने से कम से कम 2 से 3 घंटे पहले कर लेना चाहिए और हो सके तो सूर्य अस्त होने से पहले रात्रि का भोजन करेंगे तो यह सर्वोत्तम होगा।


अगर आप का वीर्य पतला है तो आपको वीर्य गाढ़ा करना होगा। इसके लिए आप आंवला चूर्ण और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर रात में खा कर सो जाएं। एक हफ्ते में ही असर दिखेगा अगर आप का वीर्य पतला है तो, आपको स्वपनदोष 100% होगा ही होगा।


रात्रि में लंगोट पहन कर सोना चाहिए। इसके बहुत सारे फायदे हैं इस पर एक संपूर्ण ग्रंथ लिखा जा सकता है।


योगाभ्यास में आप ब्रह्मचर्य पालन के लिए मूलबंध, उड्डियान और जालंधर बंध ये तीनों बहुत फायदेमंद है। इन तीनो को एक साथ लगाएं तो कहलाता है त्रिबन्ध या महाबंध...


योगासनों में विपरीत करणी के जितने भी आसन हैं ब्रह्मचर्य व्रत के लिए बहुत महत्वपूर्ण आसन है। जैसे शीर्षासन, विपरीत करणी आसन व मुद्रा, सर्वांगासन, हलासन... इत्यादि।


प्राणायाम में नाड़ी शोधन प्राणायाम, सर्दियों में सूर्यभेदी प्राणायाम, और गर्मियों में चंद्रभेदी प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, बहुत ही असरदार प्राणायाम है। 


ध्यान रहे योगाभ्यास सभी व्यक्तियों की शारीरिक स्थिति को देखते हुए अलग अलग हो सकते है। जो अभ्यास एक व्यक्ति को फायदा पहुंचा है वह दूसरे को नुकसान भी पहुंचा सकते है। इसलिए योगाभ्यास कभी भी बिना जानकारी के नहीं करना चाहिए।



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