मयूर आसन, मेरा सबसे प्रिय आसन है। आज मैं आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी दूंगा।
मयूरासन एक संतुलन और कठिन आसनों में से एक है। यह जितना कठिन है इसके फायदे भी उतने ही आधिक है। अगर आप एक बार इसको सीख लेते हैं तो, संपूर्ण शरीर को स्वस्थ रख सकते है। यह विष को भी पचाने की क्षमता रखता है।
आसन परिचय Posture introduction
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प्रत्येक आसन किसी न किसी जीव-जंतु, पेड़-पौधे या किसी ऋषि-मुनि के नाम पर होता है। जिस आसन का अभ्यास हम करते है, उसी के गुण हमारे शरीर में आने लगते है…
मयूर आसन, संस्कृत में मोर को मयूर बोलते है। इसलिए मयूरासन मोर पक्षी के नाम पर पड़ा है। जिस तरह से मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है, उसी तरह से मयूर आसन भी हमें बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह हमारे पाचन तंत्र से लेकर संपूर्ण शरीर के विकारों को दूर करने की क्षमता रखता है।
आसन से पूर्व तयारी pre-asana preparation
जमीन पर कुछ बिछाकर, अपने संपूर्ण शरीर को शिथिल करें, आंखें बंद कर वज्रासन में बैठ जाएं, 2 से 3 लंबी गहरी सांस लें, अपने मन में विचार करें कि मैं मयूर आसन का अभ्यास करने जा रहा हूं।
विधि Method
- वज्रासन से जमीन पर घुटनों के बल बैठ जाएं, पंजो को एक साथ मिलाकर रखें और घुटनों को अलग-अलग।
- सामने की ओर झुके, दोनों हथेलियों को घुटनों के बीच जमीन पर इस प्रकार रखें कि उंगलियां पंजो की ओर रहे।
- थोड़ा सा आगे की ओर झुकते हुए कहानियों को नाभि के दाएं-बाएं टीका दे।
- अब दोनों पैरों का संतुलन बनाते हुए, सीधा करके पीछे उठा दे। प्रारंभ में घुटनों को मोड़कर संतुलन बनाने का प्रयास करें, जब इसमें दक्षता प्राप्त कर लें तो धीरे से पैरों को सीधा कर दें।
- ध्यान रहे पैर जमीन के समानांतर रहे और सर उठा हुआ। अंतिम स्थिति में शरीर का भार उदर की मांसपेशियों पर रहेगा वक्ष पर नहीं।
- अब शरीर का संपूर्ण भाग हथेलियों पर संतुलित रहेगा।
- प्रारंभ में कुछ सेकंड के लिए ही अभ्यास करें, फिर वापस आ जाएं। दो से तीन बार अभ्यास करें प्रारंभ में ज्यादा अभ्यास ना करें।
- प्रारंभ में आप कुछ उचे (1 से 2 फूट) स्थान पर भी अभ्यास कर सकते है। ऐसा करने से संतुलन आसानी से बन जाता है।
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श्वास-प्रश्वास Breathing
श्वास छोड़ते हुए शरीर को ऊपर उठाये, श्वास लेते हुए वापस आये। प्रारम्भ में आसन रोकते समय श्वास अंदर ही रोककर रखें। आसन में दक्षता प्राप्त करने के बाद श्वास नार्मल रख सकते है।
आसन में ध्यान व सजगता meditation and alertness in posture
प्रत्येक आसन में शरीर के विशेष अंगों व चक्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। मयूरासन में अपने संपूर्ण शरीर के संतुलन पर ध्यान केंद्रित करें और अपने शरीर के संतुलन के प्रति सजग हो जाएं।
आसन क्रम
- आसनों को करने का विशेष क्रम होता है, आसनो को सही क्रम में करने से विशेष लाभ होता है और गलत क्रम करने से हानि…
- मयूर आसन का अभ्यास सभी आसनों के अंत में करना चाहिए। मयूरासन के बाद कभी भी विपरीत करणी अर्थात सर के बल किये जाने वाले आसनों का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- मयूरासन हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर रक्त से अलग कर देता है जो, विपरीत आसन करने से मस्तिष्क की तरफ आ जाते हैं और हमारे मस्तिष्क को क्षति पहुंचा सकते है।
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सावधानियां Precautions
- उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, हर्निया, अल्सर वाले व्यक्तियों को मयूरासन नहीं करना चाहिए।
- किसी भी बीमारी, बीमारी से आई कमजोरी की स्थिति और गर्भावस्था में यह आसन वर्जित है।
- अंतिम स्थिति में आगे गिरना खतरनाक हो सकता है संतुलन का विशेष ध्यान रखें।
- मयूर आसन का अभ्यास करने से पहले कलाइयों के सूक्ष्म व्यायाम कर लेना चाहिए। कलाइयों को क्लॉक वाइज और एंटी क्लॉक वाइज घुमाना चाहिए। ऐसा करने से आपकी कलाइयों में झटका नहीं आएगा। क्योंकि मयूरासन में आपके सम्पूर्ण शरीर का भाग कलाइयों और हाथों पर आ जाता है।
- शरीर को ऊपर उठाते समय ध्यान रखें, आप का मुंह जमीन से न लगे। अन्यथा चोट लग सकती है।
- आसन का अभ्यास करते समय फाइनल पोज में सर को उठा कर रखें, अन्यथा खून का प्रवाह आपके मस्तिष्क की तरफ आने से आप को चक्कर आ सकता है और आप को चोट लग सकती है।
- यह कठिन और एडवांस आसान है इसको सीखने में समय लगता है जल्दबाजी करने का प्रयास न करें, धीरे-धीरे प्रतिदिन अभ्यास करें मयूरासन आपसे लगने लगेगा।
लाभ benifit
- यह रक्त से विषैले पदार्थों को तीव्रता से दूर करता है, जिससे चर्म रोग, जैसे, फोड़े-फुंसी दूर होते है।
- सभी पाचन अंगों की मालिश करता है।
- उदर, वायु, कब्ज, मधुमेह, यकृत और गुर्दे की निष्क्रियता मैं बहुत ही फायदेमंद है।
- यह अंत स्रावी ग्रंथियों में सामंजस्य लाता है। मानसिक एवं शारीरिक संतुलन विकसित करता है। संपूर्ण शरीर की पेशियों को मजबूत बनाता है।
- यह मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण आसान है इससे इंसुलिन बनाने वाली पैंक्रियास ग्रंथि सक्रिय हो जाती है।
- शरीर में पहले से संचित विषैले पदार्थ, जलकर नष्ट हो जाते है।
- त्रिदोष वात, पित्त और कफ के बीच संतुलन एवं सामंजस्य लाता है।
- जिस तरह मोर सांप को मारकर खा जाता है और उसके विष को पचा देता है। इसी तरह मयूरासन हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को मारकर भस्म कर देता है।
- हमारे पाचन संस्थान, रक्त की शुद्धि और हमारे संपूर्ण शरीर के लिए यह बहुत ही अच्छा आसन है, यह मेरा स्वयं का अनुभव भी है, क्योंकि यह मेरा प्रिय आसन है।
विशेष special
- स्त्रियों के शरीर की बनावट अलग होने के कारण उन्हें मयूरासन कठिन प्रतीत हो सकता है। उन्हें इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए या विशेष देखरेख में करना चाहिए।
- आसन में शरीर को उठाते समय आगे गिरने का डर रहता है। जिससे आपके सर या मुंह में चोट लग सकती है। इसके लिए आप प्रारंभ में आगे कुछ गद्दा या कंबल बिछाकर रख सकते है।
- जिस तरह से मोर सांप को खा कर उसके विष को भी पचा जाता है, उसी तरह से मयूरासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से हमारे शरीर में जहर को पचाने की क्षमता उत्पन्न हो जाती है। यही इस आसन का विशेष गुण है। यह आसन हमारे रक्त को बहुत जल्दी शुद्ध करता है, रक्त से विषैले तत्व को निकाल बाहर करता है।
#kailashbabuyoga
धन्यवाद
Bahut khoob
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंAti sunder lekh
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