कैलाश बाबू योग

यह ब्लॉग योग की सटीक जानकारी देने के लिए है। योगाभ्यास करने के लिए किसी योग्य योग गुरु का परामर्श आवश्यक है।

शनिवार, दिसंबर 07, 2019

योगी के प्रकार

मनुष्य चार प्रकार का होता है जिज्ञासु, साधक, योगी और तुरियातीत
    जिज्ञासु वह होता है जिसके मन में योग करने के प्रति इच्छा प्रकट होती है लेकिन वह अभ्यास प्रारंभ नहीं करता है। करता भी है तो कुछ दिनों बाद अभ्यास बंद कर देता है ।
   साधक व्यक्ति वह होता है जो अभ्यास तो प्रारंभ करता है लेकिन मोह माया और संसार के जाल में फस कर कुछ समय पश्चात वह अभ्यास बंद कर देता है ।
   योगी व्यक्ति वह होता है जो योगाभ्यास प्रारंभ करता है और अंनत काल तक करता रहता है जब तक वह समाधि को प्राप्त नहीं हो जाता । लेकिन एक योगी के मन में भी संसार के प्रति मोह माया के प्रति मन जागृत हो सकता है और वह संसार की तरफ विमुख होकर इस माया के जाल में फंस सकता है।
   और अंत में आती है तुरियातीत की अवस्था जो योगी से ऊपर की अवस्था होती है इस स्थिति में पहुंचने के बाद मनुष्य मोह माया के जाल में नहीं फंसता। जन्म और मृत्यु से छुटकारा पा लेता है। अनंत काल तक इस ब्रह्मांड में विचरण करता रहता है। और परम आनंद की गति को प्राप्त करता है। तुरियातीत  मनुष्य, भगवान और परम शिव में कोई अंतर नहीं रह जाता है। यही योग की अंतिम स्थिति है जिसको योग में तुरियातीत या समाधि या परम आनंद की स्थिति बोला गया है

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