ध्यान बहुत ही कठिन प्रक्रिया है। लेकिन क्रमबद्ध तरीके से करने पर यह बहुत ही सहज और सरल हो जाता है। अगर हम सीधा ध्यान लगाने का अभ्यास करेंगे तो यह असंभव है, क्योंकि ध्यान से पहले योग में बहुत सारी क्रियाएं होती हैं, इनका अभ्यास करना आवश्यक है।
meditation in hindi ध्यान क्या है और कैसे करे
ध्यान की अनंत विधियां है लेकिन लक्ष्य एक ही है सम स्थिति अर्थात समाधि की स्थिति को प्राप्त करना। मैं कुछ योग अभ्यास का वर्णन करूंगा जिनके माध्यम से आप कुछ क्षण के लिए ध्यान की स्थिति में पहुंच सकते है और उसको निरंतर कर ध्यान की स्थिति में बने रह सकते हैं।
पहले समझते हैं ध्यान क्या है…?
मन में एक ही ऑब्जेक्ट विचार का होना ध्यान कहलाता है। लेकिन हमारे मन की स्थिति कुछ ना कुछ सोचते रहने की है। मन बहुत ही चंचल और शक्तिशाली है। इसको काबू करना बहुत ही मुश्किल है, लेकिन योग की क्रियाओं का अभ्यास कर सहज ही इसको काबू में लाया जा सकता है। वह हमेशा कुछ न कुछ सोचते रहता है। यहां तक कि स्वप्न अवस्था में भी विचार निरंतर चलते रहते है…
हमारा मन कार्य कैसे करता है…?
हमारा मन बहुत ही चंचल और शक्तिशाली है, लेकिन इसकी एक कमजोरी है, कि यह एक बार में एक ही विचार को सोच सकता है। लेकिन यह प्रक्रिया इतनी तेज होती है कि कुछ ही क्षण में कई विचार आ जाते हैं और चले जाते हैं। एक ही विचार पर स्थिर होना ध्यान कहलाता है, जो बहुत ही मुश्किल है। जिसका मन जितना चंचल होगा उसका ध्यान उतना ही कठिन लगेगा।
मन को काबू कैसे करें…?
अब प्रश्न यह उठता है कि, जो मन इतना चंचल और शक्तिशाली है क्या उसको काबू में किया जा सकता है…? एक बार वशिष्ठ जी से, उनके शिष्य ने प्रश्न किया कि, इस संसार का सबसे कठिन कार्य क्या है। तब वशिष्ठ जी ने उत्तर दिया मन को वश में करना। वशिष्ठ जी ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति यह कहता है कि, मैंने सारे समुद्रों का जल पी लिया, तो मैं एक बार को मान लूंगा। अगर कोई व्यक्ति यह कहता है कि, मैंने इस सृष्टि की सारी वनस्पतियों को खा लिया, यह भी मैं मान लूंगा। अगर कोई व्यक्ति यह कहता है कि मैंने पृथ्वी को अपने सर पर उठा लिया, तो यह भी मैं मान लूंगा। लेकिन अगर कोई यह कहता है कि मैंने मन को संपूर्ण वश में कर लिया तो, यह मैं नहीं मान सकता।
मन को काबू करने के उपाय एक कहानी की मदद से समझते हैं, उसके बाद योग के कुछ अभ्यास का वर्णन करेंगे।
एक समय की बात है। एक कुटिया में बहुत ही पहुंचे हुए सिद्ध पुरुष रहते थे। एक गांव में एक किसान रहता था, जो बहुत गरीब था। वह महात्मा की कुटिया में जाया करता था।
एक दिन वह महात्मा जी से बोला कि हे गुरुदेव मुझे इस गरीबी से मुक्त कीजिए, आपकी अति कृपा होगी। महात्मा जी ने उस किसान को एक चिराग दिया और कहा इसको रगड़ते ही एक जिंन उत्पन्न होगा, लेकिन उसकी एक शर्त होगी कि उसे हमेशा कुछ ना कुछ काम चाहिए होगा, अगर उसे कार्य नहीं मिलेगा तो वह आप को खा जाएगा। किसान बहुत खुश हुआ वह सोचने लगा कि मेरे पास अनंत काम है। उसको पूरा जीवन भर व्यस्त करके रखूंगा।
वह खुशी-खुशी चिराग लेकर घर आ गया और चिराग रगड़ते ही जिन उत्पन्न हुआ। किसान ने उसको काम बताना शुरू किया और कुछ ही क्षण में उसने धीरे-धीरे सारे काम समाप्त कर दिए। जिन काम समाप्त कर कुछ क्षण में किसान के पास आता और बोलता काम बता नहीं तो मैं तुझे खा लूंगा… किसान परेशान हो गया अब उसके पास कोई काम नहीं था। उसने अपने और अपने पड़ोसी के भी सारे काम करवा लिए। वह भागता हुआ महात्मा जी के पास गया और बोला महात्मा जी यह क्या मुसीबत है… महात्मा जी बोले बस इतनी सी बात से आप घबरा गए, यह तो बहुत ही आसान काम है।
चलो मेरे साथ महात्माजी उसके घर आए और कहा, जिन को एक बांस लेकर आने के लिए कहो। किसान ने वैसा ही किया, जिन एक बांस लेकर आया और फिर महात्मा ने कहा इस बांस को जमीन में गाडो जीन ने बांस जमीन में गाड़ दिया।
महात्मा ने जिन को आदेश दिया कि इसके ऊपर चडो और नीचे उतरो और जब तक दूसरा काम ना बताया जाए यही काम करना है। किसान को समस्या का हल मिल चुका था।
बस ध्यान लगाने के लिए आपको भी यही करना है जिन रूपी मन को अपनी श्वास से बांधकर रखना है। उसको सांस के साथ ऊपर और नीचे करना है जो प्राणायाम के माध्यम से ही संभव है।
आइए जानते हैं योग से मन को काबू में कर ध्यान की स्थिति कैसे प्राप्त की जा सकती है।
सर्वप्रथम यम नियम से अपने आंतरिक और बाहरी शरीर की शुद्धि करें विचारों को शुद्ध करें गलत विचारों को ना आने दे उसके बाद, एक आसन का चयन करें इसमें आप आधे घंटे से एक घंटा स्थिरता पूर्वक, सुख पूर्वक बैठ सकें, अगर ऐसा नहीं है तो कुछ आसनों का अभ्यास कर शरीर में स्थिरता और हल्कापन लाएं। सिद्धासन, पद्मासन ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ठ आसन है। इसके अतिरिक्त सुखासन, गोरक्षासन और भद्रासन में भी आप ध्यान कर सकते है।
सर्वप्रथम आसन लगाकर अपने इष्ट देव को याद करें, और यह धारणा करें कि मैं ध्यान करने जा रहा हूं। तीन बार लंबा गहरा योगिक शवशन करें।
उसके बाद भस्त्रिका, कपालभाति और नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास बारी-बारी से करें...
भस्त्रिका का अभ्यास कैसे करें...?
तेजी के साथ श्वास छोड़ें और तेजी के साथ साथ श्वास लें, ध्यान रहे स्वास एक ही लय में होना चाहिए कभी धीरे कभी तेज नहीं होना चाहिए। संपूर्ण ताकत से स्वास फेंकना है और लेना है अंत वाला स्ट्रोक तेजी से फेंककर रूखे और अंतरमोन हो जाएं। शारीरिक स्थिति को देखें कुछ क्षणों के लिए, आपके मन के विचारों की स्थिति सुन्य हो जाएगी उसको महसूस करें, वही ध्यान की स्थिति है।
कम से कम 30 से 50 स्वास और अधिक से अधिक आप अपनी क्षमता के अनुसार कर सकते है। ऐसा करने से आपके संपूर्ण शरीर में प्राण चेतना और ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाएगा।
उसके बाद दो से तीन बार गहरा श्वास लें, और कपालभाति क्रिया का अभ्यास प्रारंभ करें कम से कम 30 से 50 स्वास और अधिक से अधिक अपनी क्षमता के अनुसार करें। लास्ट वाला स्ट्रोक तेजी के साथ फेंके और अंतरमोन होकर, शारीरिक स्थिति को देखते रहे कुछ क्षण के लिए आपके मन के विचार सुन्य हो जाएंगे बस यही ध्यान की स्थिति है। ऐसा करने से आपके शरीर में चेतना के स्तर का एक लेवल और बढ़ जाएगा ध्यान रहे अपनी आंखों को बंद ही रखना है।
कपालभाति क्रिया का अभ्यास कैसे करें...?
आंखें बंद कर ले और पूरे शरीर को शिथिल करें। तीन बार लंबा गहरा श्वसन ले। स्वास को दोनों नासिक का रंध्र से पेट की पेशियों को बलपूर्वक संकुचित करते हुए स्वास छोड़ें। ऐसा बार-बार प्रयास करें सांस लेने की चेष्टा ना करें स्वास स्वत ही अंदर आएगा। स्वास में किसी तरीके का झटका ना दें सहज ही पेट से तेजी के साथ स्वास फेंकना है। प्रारंभिक अवस्था में स्ट्रोक जल्दी-जल्दी फेंकने की कोशिश ना करें अन्यथा आपका क्रम बिगड़ेगा और आप अच्छे से नहीं कर पाएंगे। धीरे धीरे स्वास को फेंकने का अभ्यास करें और जब आप उसमें अभ्यस्त हो जाएं तो तेजी के साथ करें। अंत वाला स्ट्रोक तेजी के साथ फेंके और अंतरमौन होकर भूमध्य में ध्यान करें।
शुरू शुरू में 10 से 20 बार स्वास-परश्वास की पांच आवर्ती करें।
धीरे धीरे इन आवर्तीयो को बढ़ाते चले जाएं। सूक्ष्म व्यायाम और आसनो का अभ्यास करने के बाद ही कपालभाति का अभ्यास करना चाहिए।
अब आपको दो से तीन बार गहरा श्वास लेना और छोड़ना है उसके बाद नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास की 10 आवर्तिया करनी है। नाड़ी शोधन प्राणायाम पूरे मन मस्तिष्क और आंतरिक मन से अंतरमोन होकर करना है। अपना संपूर्ण ध्यान स्वास पर लगा दे, उस कहानी की तरह। मन को श्वास के साथ ऊपर और श्वास के साथ नीचे और जब आप कुंभक करें तो अपने मन को कुंभक के साथ पकड़ कर रखें विचारों का आगमन बिल्कुल सुण्य हो जाएगा। जैसे-जैसे नाड़ी शोधन का का क्रम बढ़ता जाएगा वैसे-वैसे आपका शरीर, स्वास, मन और मस्तिष्क शांत और ध्यान की स्थिति में पहुंचता चला जाएगा।
नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास कैसे करें
नाड़ी शोधन प्राणायाम करने के लिए कोई भी एक ध्यान के आसन का चयन करें जिसमें सुखासन, स्वास्तिक आसन, सिद्धासन और पद्मासन मुख्य हैं। प्राणायाम के लिए सिद्धासन और पद्मासन सर्वश्रेष्ठ आसन है।
प्राणायाम मुद्रा बनाएं
इसको प्राणायाम मुद्रा बोलते हैं।
अंगूठे से दाया स्वर (सूर्य स्वर) बंद करें, बाएं नासिका से (चंद्र स्वर) से धीरे-धीरे श्वास ले, और यथासंभव जितनी देर रोक सके श्वास को रोककर रखें (कुंभक करें), उसके बाद बाये वाली नासिका को दोनों लास्ट वाली उंगलियों से बंद करें, और दाये वाली नासिका से स्वास धीरे-धीरे बाहर निकाल दें, फिर तुरंत दाएं नासिका से ही स्वास धीरे-धीरे ले, और यथासंभव सांस रोकने के बाद बाये नासिका से धीरे-धीरे निकाल दें यह आपकी एक आवर्ती पूरी हुई।
उच्च रक्तचाप, हृदय रोगी, दमा के रोगी, सिर दर्द की स्थिति में(जब आप के सर में दर्द हो रहा हो)… कुंभक का का प्रयोग ना करें बिना कुंभक के अभ्यास करें। किसी भी तरह की शंका होने पर किसी योग्य योग गुरु से संपर्क अवश्य करें।
ध्यान रहे स्वास धीरे-धीरे ही लेना है और उससे भी धीरे आपको छोड़ना है। कुंभक आपको अपनी क्षमता के अनुसार करना है। कुंभक इतनी देर करें कि स्वास झटके के साथ ना छोड़ना पड़े अन्यथा बल की हानि होगी।
"जैसे सिंह, हाथी, बाघ को धीरे-धीरे वश में लाया जाता हैं उसी प्रकार प्राणवायु को धीरे-धीरे वश में करना चाहिए अन्यथा (शीघ्रता करने से) साधक की हानि होती है।" :- हठ प्रदीपिका (2/14)
नाड़ी शोधन के 10 आवर्ती पूरी करने के बाद बिल्कुल शांत बैठ जाएं और अपने स्वास को ऊपर आते और जाते हुए देखें स्वास को सहज ही चलने दें, उसमें किसी तरीके का व्यवधान ना पडने दे। ऐसा करने से कुछ सेकंड के लिए आप ध्यान की स्थिति में पहुंच जाएंगे। उसके बाद जैसे-जैसे आप अभ्यास बढ़ाते जाएंगे आपके ध्यान का समय बढ़ता चला जाएगा और एक दिन ऐसा आएगा कि आप कई घंटों ध्यान की स्थिति में बैठे रह सकते हैं। लेकिन मन बहुत चंचल होता है इसके लिए निरंतर अनंत काल तक अभ्यास करते रहना है।
विशेष:- पूरे अभ्यास मैं सारा खेल कुंभक का है अर्थात स्वास को रोकने का, स्वास रोकने का अभ्यास एक पिक पॉइंट तक करें जहां तक आपका स्वास रूखे और श्वास लेते या छोड़ते समय आपका स्वास उखडे ना।
यह एक साधारण ध्यान की विधि है जो अष्टांग योग के माध्यम से की जाती है…
सावधानियां:- किसी भी अभ्यास में हृदय के मरीज, हाई बीपी, हाई शुगर, हाइपरटेंशन, चिंता अवसाद की स्थिति में कुंभक का अभ्यास ना करें। किसी भी तरह की शंका या परेशानी होने पर योग्य गुरु से संपर्क अवश्य करें।
कैलाश बाबू योग
धन्यवाद
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