कैलाश बाबू योग

यह ब्लॉग योग की सटीक जानकारी देने के लिए है। योगाभ्यास करने के लिए किसी योग्य योग गुरु का परामर्श आवश्यक है।

शुक्रवार, मई 14, 2021

शंक प्रक्षालन योग विधि, लाभ और सावधानियां, Shankhaprakshalana yoga

 शंख प्रक्षालन का अर्थ

meaning of Shankhaprakshalana


 आंतों की बनावट शंख की तरह होती है, प्रक्षालन अर्थात सफाई, आंतों की सफाई को शंख प्रक्षालन कहते है।


आजकल पेट की समस्या आम हो गई है। शहर में रहने वाले लोगों को अधिकतर पेट की समस्याओं से जूझते देखा जा सकता है। इसी बात का फायदा उठाकर आजकल बहुत सारी कंपनियां मार्केट में अपने प्रोडक्ट उतार चुकी है।


लेकिन इनके प्रोडक्ट से अल्पकालीन लाभ तो मिल जाता है। परंतु दीर्घकालीन लाभ नहीं मिल पाता क्योंकि, यह समस्या कोई बीमारी नहीं है, यह हमारी निष्क्रिय जीवनशैली और आधुनिक खान-पान की वजह से, हमारे शरीर में धीरे-धीरे घर करती है।


आज मैं आपको पेट और आंतों की सफाई के लिए योग का बहुत ही कारगर नुस्खा बताऊंगा।


हठ योगिक ग्रंथों में षट्कर्म पर बहुत अधिक बल दिया गया है। षटकर्म 6 क्रियाओं का एक समूह है। जो हमारे शरीर शुद्धि के लिए होती है। जिसमें से एक है शंख प्रक्षालन जो हमारी आंतो और पेट की सफाई के लिए होती है। इसको वरिसार के नाम से भी जाना जाता है। 


घेरण्ड संहिता में इसका विस्तृत वर्णन मिलता है।


शंख प्रक्षालन दो प्रकार का होता है, लघु शंख प्रक्षालन और दीर्घ शंख प्रचालन


मैं आपको सिर्फ जानकारी दूंगा। यह क्रिया किसी योग्य योग गुरु के सानिध्य में ही करें या अपने निजी रिस्क पर करें। इसको मात्र जानकारी ही समझे।


लघु शंख प्रक्षालन


एक  दिन पहले रात्रि में हल्का और अल्प आहार लेना चाहिए।


सुबह उठकर शौच आदि से निवृत्त होकर, 2 से 3 लीटर पानी गुनगुना करें और उसमें नमकीन होने तक नमक मिलाएं अर्थात 1 लीटर में एक बड़ा चम्मच नमक।


कंठ तक भर कर पानी पिये और इन पांच आसनों का अभ्यास करें। पानी घुट घुट कर ना पिए एक ही सांस में सारा पानी पी जाएं।


ताड़ासन


tadasana




तिर्यक ताड़ासन




कटिचक्रासन



तिर्यक भुजंगासन





और उदर आकर्षण आसन





इन आसनों का अभ्यास करने से आपके पेट का पानी पच जाएगा और वह आंतो में चला जाएगा। यह आंतो में सूखा, चिपका, टाइट… हुए मल को घोलकर मलद्वार से बाहर निकाल देगा।


यह अभ्यास आपको 2 से 3 लीटर पानी पीने तक करना है। अर्थात दो से तीन आवर्ती करनी है और प्रत्येक आसन को कम से कम 10 सेकंड के लिए रोक कर रखना है। 


दो से तीन बार बिना रुके पांचो आसनों का क्रम दोहराए..


हो सकता है पहले दिन आप का प्रेशर ना बने। लेकिन एक से 2 घंटे बाद आपको प्रेशर बहुत तेज बनेगा। इसलिए इस क्रिया का अभ्यास छुट्टी वाले दिन या जिस दिन घर पर हो उस दिन ही करें।


यह लघु शंख प्रक्षालन है। कब्ज की समस्या होने पर इसका आप हफ्ते में एक बार अभ्यास कर सकते है। लेकिन जैसे आपकी समस्या समाप्त होती है, अभ्यास महीने में एक बार करना प्रारंभ कर दें। अन्यथा नमक की अधिक मात्रा से आपको दूसरे नुकसान हो सकते है। लेकिन महीने में एक बार अभ्यास करने से आपको कोई नुकसान नहीं होगा।


महीने में एक बार अभ्यास करने से आपकी आंते संपूर्ण तरीके से खाली हो जाएंगी और उन्हें नई ऊर्जा व स्फूर्ति मिलेगी जो आपके संपूर्ण शरीर को निरोग रखने के लिए काफी है।


दीर्घ शंख प्रक्षालन


प्रक्रिया लघु शंख प्रक्षालन वाली ही रहेगी। गुनगुना नमक का पानी पीकर वहीं पांच आसनों का अभ्यास करना है। 


लेकिन अभ्यास आपको प्रेशर बनने तक करना है।  आसनों के बीच में विश्राम नहीं करना है। हो सकता है दो से तीन आवर्ती में प्रेशर बन जाए, अगर नहीं बनता है तो चार से पांच आवर्ती करें। क्योंकि जिन की आंतों में मल सूखा हुआ रहता है उनको प्रेशर थोड़ा लेट से बनता है।


एक से दो आवर्तीओं के बाद फिर से पानी पिए, बीच-बीच मे जैसे ही लगे पेट हल्का हो गया है और पानी पी लें...


प्रेशर बनने के बाद शोच जाएं और जोर बिल्कुल भी ना लगाएं। आपकी आंतो से मल निकलना शुरू हो जाएगा। वापस आने के बाद यही प्रक्रिया फिर से दोहराएं। इस बार आपको एक से दो आवर्ती में ही प्रेशर बन जाएगा। फिर से शोच जाएं और यह प्रक्रिया जब तक दोहराते रहें जब तक आपके मलद्वार से साफ पानी ना निकलने लगे।


 आंतो से पिला मटमैला पानी आने के बाद अभ्यास बंद कर दें।


साफ पानी आने के बाद एक बार बिना नमक के गुनगुने पानी से कुंजल क्रिया का अभ्यास करें। उसके बाद अभ्यास बंद कर दें और शरीर को पूर्ण विश्राम दें।


शंख प्रक्षालन करने के बाद नेति करने से विशेष लाभ होता है।


इस अभ्यास से आपकी संपूर्ण आंतों की सफाई हो जाएगी और आपकी आंतो से चिकनाहट, गंदगी, मल संपूर्ण तरीके से साफ हो चुका होगा।


सावधानियां Precautions of Shankhaprakshalana yoga


  • अभ्यास के बाद पूर्ण विश्राम बहुत जरूरी है। कम से कम 30 से 45 मिनट तक शवासन में लेटे रहे। सोए नहीं, नहीं तो सर दर्द और सर्दी लग सकती है। 


  • अभ्यास के बाद सामान्य वातावरण में रहे पंखे के नीचे या ठंडी हवा के सामने बिल्कुल ना जाएं सर्दियों के समय शरीर में गर्मी बनाए रखें।


  • इस क्रिया का अभ्यास किसी जानकार के सानिध्य में ही करें।


  • उच्च रक्तचाप के रोगी इस क्रिया का अभ्यास बिल्कुल भी ना करें।


  • कुछ दिनों के लघु शंख प्रक्षालन के अभ्यास से आप स्वयं से भी इसका अभ्यास कर सकते है। बस थोड़ी सी सावधानी और पूर्ण जानकारी होना जरूरी है।


  • अभ्यास के बाद शरीर को पूर्ण विश्राम देना चाहिए यह अभ्यास छुट्टी वाले दिन ही करना चाहिए।


  • अभ्यास करने के बाद 30-45 मिनट बाद बिना नमक की मूंग दाल और चावल की खिचड़ी मैं अधिक मात्रा में घी डालकर खाना चाहिए।


  •  खिचड़ी खाने के लगभग 6 घंटे बाद  दोबारा से बिना नमक की खिचड़ी खानी चाहिए।  अगर भूख नहीं लगती है फिर भी आप को भरपेट खिचड़ी खानी है।


  • ध्यान रहे 45 मिनट से 1 घंटे के अंतराल में खिचड़ी खा लेनी चाहिए। आंतो को ज्यादा देर खाली ना रखें अन्यथा आप को हानि हो सकती है।


  •  खिचड़ी खाने के बाद पुनः विश्राम करें जिस दिन शंक प्रक्षालन का अभ्यास करें, उस दिन कठिन परिश्रम बिल्कुल भी ना करें शरीर व आंतों को पूर्ण विश्राम दे।


  • अभ्यास करने के बाद 3 से 4 घंटे नींद ना लें अन्यथा आपके सर दर्द हो सकता है।


  • अधिक सर्दी और गर्मी होने पर शंख प्रक्षालन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।


  • दीर्घ शंख प्रक्षालन का अभ्यास महीने में एक बार ही करना चाहिए। जिन लोगों को कब्ज की बहुत ज्यादा समस्या है  उंन्हे लघु शंख प्रक्षालन हप्ते में एक या दो बार करना चाइये।


लाभ benifit of Shankhaprakshalana yoga


  •  यह पेट की समस्त समस्याओं का नाश करता है। जैसे आपच, कब्ज, पित्त की अधिकता, गैस... इत्यादि।


  •  यकृत और अन्य पाचन अंगों व ग्रंथियों को पोषण प्रदान करता है। 
  •  मधुमेह, मोटापा, रक्त में वसा की अधिकता, कोलेस्ट्रॉल के लिए बहुत ही रामबाण प्रक्रिया है।


  •  एलर्जी प्रतिरक्षा संबंधी समस्या को दूर कर इम्युनिटी और स्टेमिना को बढ़ाने में मददगार है।


  • कफ की अधिकता को दूर करता है।


  •  लंबे समय से चली आ रही सर्दी गर्मी साइनोसाइटिस मे लाभ प्रदान करता है। 


  • रक्त का शुद्धिकरण करता है।


  •  चर्म रोग, मुहासे, फोड़े-फुंसी, खाज-खुजली... को दूर करता है।


  •  यह हमारे संपूर्ण प्राणशक्ति को ऊर्जावान व नाड़ियों के अवरोधों को दूर करता है।


  •  सातों चक्र को ऊर्जा प्रदान करता है और उन में सामंजस्य स्थापित करता है।


  •  यह सूक्ष्म रूप में भी काम करता है, चेतना के लिए उच्च अवस्था का मार्ग प्रशस्त करता है। 


  • शंक प्रक्षालन का अभ्यास करने के बाद किया गया कोई भी योग अभ्यास अधिक फल प्रदान करता है। क्योंकि हमारी आंते संपूर्ण तरीके से स्वच्छ व साफ हो चुकी होती है।


#kailashbabuyoga


धन्यवाद



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